Saturday 16 February 2013

बचपन की सुनहरी यादें....


नटखट बचपन, 
भोला बचपन 
कितना मस्ती भरा था 
अपना बचपन।  

जितना स्वछंद,
उतना ही निश्छल,
हर पल याद आता बचपन। 

अपने घर में फलों की 
भरी होती थी टोकरी,
फिर भी पडोसी के 
बगीचे से चुरा अमरुद खाना।

भरी दोपहर में बिना 
शोर मचाये घर से निकलना,
और अपनी सखियों के संग 
मस्ती करना और खेलना।

कितना लुभावना लगता था 
अपनी बहनों का साथ, 
माँ की मीठी झिडकियां खाना 
और खिलखिला के हँसना।

शहतूत तोडना कच्चे पक्के 
सब बिना धोये ही खा जाना,
पेड़ पर पींग डालना 
अपनी बारी न आने पर चिल्लाना।

सखियों के साथ घंटों बैठकर 
यहाँ वहां की बातें करना,
छोटी बड़ी बात पर झगड़ना 
फिर एक दूजे को मनाना।

माँ का अलमारी में 
अखबार के नीचे नोट रखना,
आज भी अपनी कीमत का
 एहसास दिलाता हैं।

समय बीत जाता है,
उम्र बढती जाती है,
बचपन की सुनहरी यादें, 
छोटी बड़ी बातें,
बस यही रह जाती हैं, 
बेहद याद आती हैं।

1 comment:

  1. Sooo touchy...bachpan ki yaadeN taza ho gayiN....sach me bahut achchha hai..

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